रविवार, 2 अगस्त 2020

लहर



                                             लहर




सागर की  लहरों  सी  चंचल   हो  तूम , बस  अपनी  मौजों  मे बहती जाती  हो, कभी बलखाती, कभी इठलाती,  बहती जाती अल्हड सी अपनी मस्ती में तुम , मैंने पूछा तुसे कहाँ जा रही हो तुम  , मुस्काते हुए तुमने कहा पता अहि इन्ही लहरों से पूछो मेरी मंजिल , मेरे पीछे ना आना कहीं तुम्हेंअपनी लहरों के साथ बहाना ले जाऊं, लहर हूँ मैं दुर कहीं चली जाउंगी, एक झलक दिख जाउंगी, पास नही मै आउंगी, अपने किनारों पर अपना अक्श छोड़ जाउंगी . तुम ढूंढते रह जाओगे. मुझे किनारों पर, पर मै अपने लहरों संग दुर चली जाउंगी , कहीं दुर चली जाउंगी .