सोमवार, 18 मई 2020

दानवीर कर्ण और ढाई मन सोना




अंग प्रदेश जो वर्तमान में भागलपुर के नाम से जाना जाता है। जिसका राजा कर्ण हुआ करता था।भागलपुर के निकट स्थित चम्पानगर अंग प्रदेश की राजधानी थी।कर्ण बहुत बड़ा दानवीर  था और माँ चंडी का बहुत बड़ा भक्त था।मुंगेर जिला मुख्यालय से 4 किमी दुर माँ चंडी का दिव्य मंदिर है।जो बहुत ही सुदर और भव्य है।प्राचीन काल में यह बिलहरी नामक ग्राम के रुप में जाना जाता था। जिसका नाम पुष्पावती नगरी भी था।यहां माँ सती की बायीं आंख गिरी थी।यहां एक काजल मिलता है, जिसे आंखों में लगाने से रोगी को आंखों के कष्टों से मुक्ती मिलती है।यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।यहां लोगों की मुरादें पुरी होती हैं ।यहां की एक किवंदती बहुत ही प्रचलित है। राजा कर्ण सुर्योदय से पुर्व हर रोज चंडी माँ की पुजा किया करता था ।मंदिर के एक कडाहे में तेल उबलता रहता था।कर्ण उस खौलते हुए कड़ाहे में कुद जाता था।उसका मांस भक्षण करने के बाद , माँ चंडी उसे अमृत छिडक कर जिवित कर देती थी और रोज उसे ढाई मन सोना दिया करती थी।कर्ण चौराहे पर जाकर वह सोना गरीबों में दान किया करता था।कर्ण के राज्य में उसकी सारी प्रजा सुखी थी।कोई गरीब नही था।यह बात धीरे धीरे धीरे उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के कानों तक पहुंचीं ।अंग प्रदेश में कोई गरीब नही है सभी सुखी हैं ।राजा विक्रमादित्य इस रहस्य को जानने के लिए कर्ण की नगरी अंग प्रदेश पहुंचे।उन्होंने रात में घुमते हुए एक वृद्धा को देखा जो कभी हंसती थी कभी रोती थी।विक्रमादित्य ने उससे पुछा तो वह बोली कि मेरा पुत्र खो गया है।जब विक्रमादित्य ने खोज की तो पता चला कि उसका पुत्र राजा कर्ण की चौकीदारी किया करता है।उसने पहले उस वृद्धा के पुत्र को मुक्त किया ।फिर उसने प्रातः काल कर्ण का पीछा किया।उसने देखा कि कर्ण चंडी मंदिर की खौलती हुई कडाही में कुद गया और उसका मांस भक्षण करने के बाद माॅ चंडी ने उसे ढाई मन सोना दिया।सारा हाल जान लेने के बाद दुसरे दिन  प्रातःकाल विक्रमादित्य कर्ण से पहले माँ चंडी के मंदिर पहुंच गया और उस तेल से भरी खौलती हुई कडाही में कुद गया।माँ चंडी उसका मांस भक्षण करने के बाद अमृत छिडक कर उसे जिवित कर देती है और ढाई मन सोना देती है।विक्रमादित्य फिर उस खौलती हुई कडाही में कुद गया।माँ चंडी ने फिर उसे ढाई मन सोना दिया।उसने एसा तीन बार किया।फिर चौथी बार जैसे ही विक्रमादित्य उस खौलती हुई कडाही में कुदने लगे।माँ चंडी ने उन्हें एसा करने से मना किया तो उन्होंनें मां चंडी से अमृत कलश और सोनेवाला अक्षयपात्र मांगा।माँ चंडी ने विक्रमादित्य को वह अमृत कलश और सोनेवाला अक्षयपात्र प्रदान किया।विक्रमादित्य उस अमृत कलश और सोनेवाला अक्षयपात्र लेकर अपनी नगरी उज्जैन चले गये।माँ चंंडी ने फिर उस कडाही को उलट दिया।अभी भी प्रमाण के तौर पर उल्टी हुई कडाही मंदिर परिसर में देखी  जा सकती  है।

शुक्रवार, 1 मई 2020

लाॅकडाउन भाग -2 ( मरकज़ जमातियों का खेल)






लग रहा था कि भारत अब कोरोना पर नियंत्रण कर लेगा ।इसी बीच मरकज़ ज़मातियों ने सारा खेल बिगाड़ दिया ।इनकी वेशभूषा ,व्यवहार देखकर ये पता नही चलता ये किस सम्प्रदाय से हैं।अपने आप को इस्लाम धर्म का बताते है, तो इस्लाम पर लगा ये बदनुमा दाग है। क्यों कि इस्लाम कभी अमानवीयता को नही दर्शाता । इंसान का बहुत घिनौना रुप सामने आया वो है ज़माती।कुछ बाहर के लोग थे कुछ इसी सरजमीं के थे।ये पुरे देश में अपनी धार्मिक सभा का आयोजन कर रहे थेऔर इनके मौलाना इन्हे भड़काने का काम कर रहे थे।जब सरकार ने इन्हे सोशल डिसटेंशिग का पालन करने को कहा था।फिर भी ये हजारों के समुह में इकट्ठा होकर धार्मिक सभा आयोजन कर रहे थे।ये जमाती सबसे बड़े स्तर पर हज़रत निज़ामुद्दीन दिल्ली में मार्च के महीने के अंत में धर्मिक सभा का मजमा लगाये हुए थे।पर आश्चर्य की बात तो ये थी कि बगल में ही पुलिस स्टेशन था फिर भी पुलिस इनपर कार्यवाही नही कर सकी। पुलिस ने इन्हें क्यो नही रोका।ये बहुत बड़ा सवाल था।पुलिस भी ऐसे इलाकों में जाने से डरती थी।तो दिल्ली सरकार क्या कर रही थी।पुलिस के साथ ये दिल्ली सरकार भी सोयी थी।मैं ये भी नहीं कहुँगा किया ये आतंकवाद थे।मैं इसमें कोई पाकिस्तानी एंगल भी नही ढूंढुंगा।पर ये असामाजिक तत्व हैं।जो मानवता को शर्मसार करनेवाले हैं।जो मानवता के दुश्मन हैं।जो कोरोना को फैलाने का काम कर रहे थे।हजारों की संख्या में ये कोरोना पाॅजिटिव थे।जिन्होंने कोरोना का संक्रमण तेजी से देश में फैलाया।युपी, एमपी, बंगलोर, महाराष्ट्र आलऑवर इंडिया में ये जमाती फैले हुए थे।पुलिस ने सभी जगह इन जमातियों के जत्थे को पकड़ा और इन्हें जांचकर अस्पताल भेजा गया ।देश के हर कोने में जमातियों ने संक्रमण पहुंचाने का काम किया।जमातियों से देश में कोरोना के संक्रमण में दुगना इजाफ़ा हुआ।पुरे देश के संक्रमण के बराबर अकेले उन जमातियों का संक्रमण था।कोरोना फैलाने में इनकी मुख्य भुमिका रही।ये जमाती किसी जिन्नात से कम नही थे जिन्होंने संक्रमण फैलाकर पुरे देश को खतरे में डाल दिया । नही तो ये देश कोरोना पर  जरुर काबु पा लेता।जिसकी सजा पुरे देश के लोग भुगत रहे हैं।नही तो देश की स्थिति काफी बेहतर होती।जमातियों के सरदार मौलाना साद की पुलिस सरगरमी से तलाश कर रही है।सरकार ने साफ कर दिया है इन जमातियों पर सख्त कारवाही की जाएगी। इनपर एन एस ए लगाकर अभियोग चलाया जाएगा।जमातियों को जहाँ जहाँ क्वारंटीन कर इलाज कराया जा रहा था।उन जमातियों का डाक्टर और और नर्स के साथ अभद्रतापूर्ण वयवहार काफी शर्मशार करनेवाला है।वो डाकटर पर थुक फेंक रहे थे।नर्स के कपड़े फाड़ रहे थे।काम करनेवाली नर्स वहां से इज्जत बचाकर भाग निकली।कोरोना वारियरस अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का इलाज कर रहे हैं ।उनके साथ यह दुर्व्यवहार निंदनीय है।शर्म आनी चाहिए इन जमातियों को जो इस्लाम के नाम पर गंदगियां फैला रहे हैं । इनहोंने मानवता को कलंकित किया है।इसी बीच इंदौर  में एम्बुलेंस में पेशेंट को ले जा रहे डाक्टरों पर एक भीड़ ने जानलेवा हमला किया ।वो किसी तरह अपनी जान बचाकर भागे।फिर ICMA ने डाक्टरों की सुरक्षा को लेकर विरोध जताया।गुहमंत्री अमित शाह ने ICMA को डाक्टरों की सुरक्षा को लेकर आशवसत किया।दोषीयों को नही बखशा जाएगा। डाक्टर अपनी डयुटी करें ।
 

लाॅकडाउन भाग 1



24 मार्च 2020 से कोरोना संक्रमण के कारण देश में लाॅकडाउन की घोषणा कर दी गई। सभी अपने घरों में रहेंगे इसकी सलाह दी गई । राशन की दुकान और दवा दुकान खुली रहेगी । ताकि लोगों को जरुरत की चीज़ें मिल सके ।इमरजेन्सी सेवाएँ जारी रहेगी जैसे अस्पताल, बैंक। पुलिस 24/7 डयुटी करेगी। सरकार की तरफ से गरीबों और मजदुरों को घर पर खाना पहुंचाने की व्यवस्था की गई।सरकार से लेकर कई ट्रस्‍ट्‌ खाना गरीबों तक पहुंचाने का काम करने लगे।पर मजदुर जो रोज कमाते हैं खाते हैं ।उनका जीना मुहाल हो रहा था।फैक्ट्रियों बंद हो चुकी थी। उनके लिए रोजगार के रास्ते बंद हो चुके थे।उनको दो वक्त का खाना ही मुहैया कराना ही काफी नही था।उनका जीना मुहाल हो रहा था ।आखिर कब तक वो शहर की तंग जिंदगी जीते ।दिल्ली एवं गाजियाबाद में रह रहे सभी मजदूर लाॅकडाउन तोडकर घर से निकल पड़े।सड़क पर हजारों मजदुरों की भीड़ इकट्ठी हो गई ।और इस तरह लाॅकडाउन की धज्जियां उड गई ।कोई परिवार बीवी- बच्चों के साथ तो कोई अकेला ।उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी। यातायात साधन उपल्बध नही होने के कारण सभी पैदल ही अपने होमटाउन की अर निकल पड़े ।अब सरकार के पास एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई ।सभी मजदूरों को उनके होमटाउन तक पहुंचाना। सरकार ने सभी मजदुरों के जनधन खाते मे 1000 रुपये भी दिये ।फिर भी शहर से इनका पलायन नही रुका।सरकार ने सभी मजदूरों के जाने के लिए आनंदविहार दिल्ली से 100 बसों की व्यवस्था की गई।सभी मजदूरों को बस से युपी के विभिन्न क्षेत्रों में  लखनउ, कानपुर, बुलंदशहर, बदायूं,  अपने होमटाउन पहुंचाया गया और इस मामले को निपटाया गया।पुरे देश में पुलिस का पहरा सख्त कर दिया गया ।ताकि लोग लाॅकडाउन का सख्ती से पालन करें।जो लोग घर से बाहर निकल रहे थे उन्हें पुलिस गुलाब का फुल देकर घर में रहने की अपील कर रही थी।जहाँ जरुरत पड़ी शहर की हवा खाने निकले युवकों पर डंडे भी बरसाये ।फिर सभी घरों मे रहकर लाॅकडाउन का पालन करने लगे।