सोमवार, 18 मई 2020
दानवीर कर्ण और ढाई मन सोना
शुक्रवार, 1 मई 2020
लाॅकडाउन भाग -2 ( मरकज़ जमातियों का खेल)
लाॅकडाउन भाग 1
24 मार्च 2020 से कोरोना संक्रमण के कारण देश में लाॅकडाउन की घोषणा कर दी गई। सभी अपने घरों में रहेंगे इसकी सलाह दी गई । राशन की दुकान और दवा दुकान खुली रहेगी । ताकि लोगों को जरुरत की चीज़ें मिल सके ।इमरजेन्सी सेवाएँ जारी रहेगी जैसे अस्पताल, बैंक। पुलिस 24/7 डयुटी करेगी। सरकार की तरफ से गरीबों और मजदुरों को घर पर खाना पहुंचाने की व्यवस्था की गई।सरकार से लेकर कई ट्रस्ट् खाना गरीबों तक पहुंचाने का काम करने लगे।पर मजदुर जो रोज कमाते हैं खाते हैं ।उनका जीना मुहाल हो रहा था।फैक्ट्रियों बंद हो चुकी थी। उनके लिए रोजगार के रास्ते बंद हो चुके थे।उनको दो वक्त का खाना ही मुहैया कराना ही काफी नही था।उनका जीना मुहाल हो रहा था ।आखिर कब तक वो शहर की तंग जिंदगी जीते ।दिल्ली एवं गाजियाबाद में रह रहे सभी मजदूर लाॅकडाउन तोडकर घर से निकल पड़े।सड़क पर हजारों मजदुरों की भीड़ इकट्ठी हो गई ।और इस तरह लाॅकडाउन की धज्जियां उड गई ।कोई परिवार बीवी- बच्चों के साथ तो कोई अकेला ।उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी। यातायात साधन उपल्बध नही होने के कारण सभी पैदल ही अपने होमटाउन की अर निकल पड़े ।अब सरकार के पास एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई ।सभी मजदूरों को उनके होमटाउन तक पहुंचाना। सरकार ने सभी मजदुरों के जनधन खाते मे 1000 रुपये भी दिये ।फिर भी शहर से इनका पलायन नही रुका।सरकार ने सभी मजदूरों के जाने के लिए आनंदविहार दिल्ली से 100 बसों की व्यवस्था की गई।सभी मजदूरों को बस से युपी के विभिन्न क्षेत्रों में लखनउ, कानपुर, बुलंदशहर, बदायूं, अपने होमटाउन पहुंचाया गया और इस मामले को निपटाया गया।पुरे देश में पुलिस का पहरा सख्त कर दिया गया ।ताकि लोग लाॅकडाउन का सख्ती से पालन करें।जो लोग घर से बाहर निकल रहे थे उन्हें पुलिस गुलाब का फुल देकर घर में रहने की अपील कर रही थी।जहाँ जरुरत पड़ी शहर की हवा खाने निकले युवकों पर डंडे भी बरसाये ।फिर सभी घरों मे रहकर लाॅकडाउन का पालन करने लगे।