रविवार, 15 सितंबर 2024

कनेरी का सच



 ये कहानी भागलपुर जिले में जगदीशपुर के पास एक छोटे से गांव कनेरी की है।  ये कहानी मेरे ही ऑफिस में काम करनेवाले एक स्टाफ बंटी की है।  साल 2008, जब वह 12 साल का था। तो अपने दोस्तों के साथ मिलकर आम के बगीचे से आम चुराने का प्लान बनाया |  कनेरी गांव के पास आम का एक बहुत बड़ा बगीचा था|  बंटी अपने 3-4 दोस्तों के साथ रात को करीब 1 बजे आम का बगीचा पहुंचे। जैसे ही वे लोग आम का बगीचा पहुंचे उन्हें देखकर बहुत आश्चर्य हुआ क्यों कि वहां आम का पेड़ तो था पर उसमें आम नहीं था। जब कि दिन मैं उन्होंने पेड़ पर बहुत सारे आम लटके हुए देखे थे।सभी सोच में पड़ गए कि पेड़ पर दिन में तो आम थे पर रात को कहां गायब हो गए| तभी बंटी को जोर से लघुशंका लगी और वह एक पेड़ के नीचे लघुशंका करने लगा जब वह लघुशंका कर रहा था तभी उसे लगा जैसा कोई उसके गाल को छू रहा है उसने अटपटे ढंग से बालों को अपने चेहरे से हटा दिया लेकिन फिर वह बाल उसके गाल को छूने लगा| इस बार बंटी को बड़े जोर से गुस्सा आया और उसने उस बाल को जोर से खींचा तभी बंटी ने अपनी तिरछी नजर से देखा एक भयावह चेहरा बंटी की तरफ बड़े गुस्से से देखते हुए चिल्लाई | यह देख बंटी के होश हवा हो गए | और    बंटी अपनी जान बचकर वहां से भागा| दरअसल वह चुडैल रात में आम के पेड़ पर लेट कर आराम कर रही थी और आम के पेड़ से लटकते हुए उसके बाल बंटी को परेशान कर रहे थे।  जो बंटी समझ न पाया और उसने उसके बालों को पकड़ कर खींचा | बंटी का कलेजा तो शेर का था, जो वहां से भाग निकला नहीं तो चुड़ैल का भयावह चेहरा देखकर किसी को भी हार्ट अटैक आ जाए| उसके चेहरे की कल्पना मात्र से ही बंटी का दिल अभी भी दहल जाता है जो बंटी ने बयां किया वह उजली साड़ी पहनी हुई थी, उसके बाल को जोरों से खिंचने से वह बंटी परआग बबूला थी, जैसे उसे वो कच्चा चबा जाएगी |बंटी किसी तरह वहां से जान बचाकर भाग निकला जिसके लिए ऊपर वाले का वह अभी भी शुक्रिया अदा कर रहा है |आज भी उस वाकया को याद कर बंटी के रोंगटे खड़े हो जाते है| 

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