बुधवार, 17 जून 2020

सुशांत सिह राजपुत और बाॅलीवुड



                                           21 jan 1986 to 14 June 2020


बिहार में पटना के रहनेवाले सुशांत सिंह ने अपने अभिनय से एक मिशाल कायम की।पवित्र रिशता जैसे सीरियल बनाकर खुब वाहवाही बटोरी।इनकी गजब की अभिनय क्षमता से इन्हे फिल्मों के आफर आने लगे। इनहोने पी के जैसी बडे बैनर के फिल्मों में काम किया।अपनी फिल्म एम एस धोनी से इनहोंने अपने  अभिनय  का परचम लहराया ।अपने ऐक्टिंग के दम पर ये लाखों दिलों पर राज करने लगे।बेहतरीन अभिनय के दम पर ये एम एस धोनी से रातों रात स्टार बन  गए।अपने अभिनय के दम पर इनहोने एम एस धोनी के चरित्र को जीवंत कर दिया था।खुद धोनी ने भी ये कहा कि सुशांत ने जैसी ऐक्टिंग मेरी की है। शायद मैं खुद भी नही कर पाता। एम एस धोनी फिल्म देखने के बाद बाॅलीवुड के बड़े-बड़े दिग्गजों ने इनकी प्रतिभा को सराहा।सुशांत को ये मालुम नही था कि ये जिस चकाचौंध की तरफ बढ़ रहे हैं।यही बाॅलीवुड उसकी जिंदगी में एसा तुफान लाएगा जिससे वो उबर नही सकेंगे।ये मायानगरी उन्हें एक गहरी नींद में सुला देगी।मौत की नींद ।सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बाॅलीवुड का एसा घिनौना चेहरा सामने आया जिसकी लोग कल्पना भी नही कर सकते।सुशांत की मौत के बाद इस रहस्य से परदा उठा।बाॅलीवुड में केवल खान की दबंगई चलती है।मतलब सुशांत सिंह राजपुत एक बड़ी शख्सियत थी ।तभी तो तीनो खान को अपने तखतो ताज छिन जाने का डर लगा। यहां केवल स्टार के बेटे-बेटियों को ही बडे बैनर में काम करने मिलता है। जैसे ये इनकी जायदाद हो। अब समझ में आया कि बाॅलीवुड में ये खान ही क्यो 20 साल से राज कर रहे हैं।यहाॅ इनकी दादागिरी है इनके रहते यहां बाॅलीवुड में कोई पांव नही जमा सकता है।खान भी सुशांत सिंह राजपूत के अभिनय का लोहा मान चुके थे। तभी तो खान को ये डर हो गया था कि कही सुशांत बाॅलीवुड पर राज न करने लगे।वो सभी जगह फोन कर सुशांत को बडे प्रोजेक्ट से निकलवा दते थे।बाॅलीवुड में प्रोडक्सन हाउस की पुरी गैंग सुशांत का बाॅयकाट करने लगी।ये बड़े बड़े प्रोजक्ट टाईगर श्राफ जैसे वाहियात ऐक्टिंग करनेवाले या किसी स्टार किडस को मिल जाता था।बड़े बड़े प्रोजक्ट सुशांत के हाथ से फिसलने लगे। यहाॅ तक की करन जौहर ने भी सुशांत को अपने फिल्म में लेने से मना कर दिया। ये उसके हिजड़ेपन को उजागर करता है।बाॅलीवुड का सुशांत के साथ यह व्यवहार एक काले धब्बे की तरह था। बड़े बड़े प्रोजक्ट निकल जाने पर सुशांत हताश होने लगे।सुशांत को बाॅलीवुड की बड़ी पार्टियों में शामिल नही किया जाने लगा। सुशांत को अपना फिल्मी कैरियर अधर में दिखने लगा।इनहीं वजहों से सुशांत डिपरेशन में चले गए।और उनका इलाज हिंदुजा हाॅसपीटल में चलने लगा।सुशांत का तनाव इस हद तक जा चुका था जहाँ से वो लौट नही सकते थे।करोड़ों दिलों को अपनी मुस्कुराहट से जीतनेवाला सुशांत आज खुद से हार चुका था। अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए सुशांत ने यही तरकीब निकाली।सुशांत ने सुबह जुस पिया। और अपने कमरे में चले गए।मौत जो किसी का सगा नही होता सुशांत का इंतजार कर रही थी।14 June 2020 को गले में फंदा डालकर सुशांत ने खुदखशी कर ली।अपने घर परिवारवालों को रोता हुआ छोड़ कर चले गए।जो तनाव उन्हें अंदर ही अंदर खा रही थी अपने दिल की बातों को काश वो अपने दोस्तों के साथ खोलकर रख देते तो शायद सुशांत हमारे बीच होते। आपकी जान कीमती है। अगर  आपको कोई तनाव है तो अपने दोस्तों या रिशतेदारों  के बीच उसे शेयर किजिए।मौत इसका रास्ता नही है। हर समस्या का हल है।

सोमवार, 15 जून 2020

ईमली का पेड़





क्या आपको रात के सन्नाटे में कभी डर नही  लगता ।क्या आपकी खिड़की कभी रात में खडखडाती नही। क्या कभी आधी रात को किसी ने आपका दरवाज़ा तो नही खटखटाया।क्या आपको भी लगता है कि कोई साया आपका पीछा कर रहा है।आपने रुहों को कभी देखा है।जो जिस दुनियां की चीजें है उससे छेड़ छाड नही किजिए ये आपके लिए खतरनाक हो सकती है।कहानी जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी।रुहों पे जो यकीन नही करते उन्हें भी पता चलेगा मौत के बाद एक दुसरी दुनिया भी है।रुहों की दुनिया । रुहें अच्छी भी होती हैं और बुरी भी।कहते हैं मरने के बाद जिनकी कोई इच्छा अधुरी रह जाती है। वो इस दुसरी दुनिया के हो जाते हैं।जो है रुहों की दुनिया ।उनकी रुहें भटकती हैं।जब तक उनकी इच्छाए पुरी नही होती। इनकी भी जातियां होती हैं जैसे भुत ,प्रेत , पिशाच, चुड़ैल, डाकिनि, ब्रहमराक्षस, भैरव।जब सारी दुनिया सोती है। तब रात 12 बजे से शुरू होता है आत्माओं का भ्रमण। इसलिए पुराने जमाने के लोग रात के बारह बजने के बाद कहीं बाहर नही जाते थे । क्यों कि वो जानते थे रात को आत्माएँ घुमती हैं।उनका सामना आत्माओं से हो सकता है।मुझे शुरू से ही भुत प्रेत जैसी चीजों में दिलचस्पी रही है।मैं इसको लेकर रिसर्च करता रहता हुं। गरुड़ पुराण के अनुसार आत्मा मरने के बाद 13 दिन तक अपने घर परिवार को याद करती है। जिंदगी है तो मौत है देवी देवता हैं तो भुत प्रेत भी है। क्या आपको इस चीज ने कभी परेशान नही किया कि आप जब सोते हैं तो आप सपना क्यों देखते हैं ।आप तो बिस्तर पर रहते हैं फिर सपने में हर चीज की छुअन को आप कैसे महसुस कर लेते हैं। आत्मा मतलब सूक्ष्म शरीर ।जिसकी उर्जा कमजोर रहती है उसके शरीर में ये आसानी से प्रवेश कर जाते हैं । जिसका शनिवार मजबुत होता है।उनमें आत्माओं को देखने की शक्ति होती है। बात आज से 23 साल पहले की है।मैं मां के साथ अपने मामा के यहाँ घुमने जामताडा गया हुआ था। जो झारखण्ड में पड़ता था।एक दिन मै अपने मामा मामी और उनके बच्चे के साथ मधुपुर चला गया।मामा को दो बेटीयां थी। मेरी माँ उनके दो छोटी बेटियों के साथ रहने लगी। मामा फ़ॉरिस्ट विभाग में फ़ॉरिस्ट ऑफ़िसर थे।मामा सरकारी क्वाटर में रहते थे। पर वो मकान बिलकुल सड़क से दुर सुनसान में थे।उस मकान के बगल में एक ईमली के पेड़ था।रात हो गई थी ।माँ दोनों बच्चियों के साथ सोने चली गई ।जब रात के बारह बजे तो माँ को किसी औरत के रोने की आवाज़ सुनाई दी। जो सिसक सिसक कर रो रही थी।औरत के रोने की आवाज़ सुनकर माँ काफी डर गई थी। पर उन दो छोटी छोटी बच्चियों को पता था कि ये किसी चुड़ैल के रोने की आवाज़ है।मामा की बड़ी बेटी जो 7 साल की थी तपाक से बोली बुआ ये चुड़ैल के रोने की आवाज़ है।मां ने उसे डांटकर कहा चुपकर , चुपचाप सो जा।  माँ ने दोनों बच्चियों को बेड पर पीठ थपथपा कर  प्यार से सुला दिया। उस औरत के रोने की आवाज़ सुनकर माँ का दिल धक से कर जाता था। उस पुरी रात माँ नहीं सो सकी । उस आवाज़ ने मां को काफी परेशान कर दिया था। सुबह होते ही मैं मामा मामी और उनके छोटे बच्चे के साथ घर आ चुका था। माँ ने रात की सारी कहानी अपने भाई को बताई। ईमली के पेड़ से उस औरत के रोने की आवाज़ ।मामाजी ने हंसकर यही कहा की दीदी मैं जानता था कि इस ईमली के पेड़ से रात को औरत के रोने की आवाज़ आती है।कहते है कुछ समय पहले गांव की किसी औरत ने अपनी जिंदगी से तंग आकर उस इमली के पेड़ पर फांसी लगा ली। ये उसी औरत के रोने की आवाज़ है। जिसकी आत्मा अब भटकती है। मरने के बाद वो चुड़ैल बन चुकी है। दिल को धडका देनेवाली ये घटना मुझे अभी भी याद है।होनी को कौन टाल सका है। वो तो होकर रहती है। भुत प्रेत और आत्माओं की सच्ची कहानी लेकर मैं फिर आपके पास आउंगा। तब तक के लिए सऽऽऽऽऽ कोई है।

गुरुवार, 4 जून 2020

मृत्यु


                                   मृत्यु









Hindi Kavita Manch: एक प्रार्थना यमराज से





मुझे इससे बहुत डर लगता था . पर अब बहुत प्यारी लगती है. किसी दुल्हन सी. जैसे अपनी बाहें फैलाये ख़ड़ी हो, अपनी आगोश में लेने के लिए .चैन और सुकून के साथ मै सो जाउंगा.एक गहरी नींद में . कुछ चीजें जो ज़िन्दगी भर मेरा पीछा कर रही थी. वो मेरा पीछा तो नही करेगी. जों रिश्ते मुझे चुभते थे वो चुभेंगे तो नहीं. मैं उनसे दुर चला जाऊंगा जहां से दूरियां भी छोटी पड़ती है. मैं सबको तो खुश नही रख सकता. रिश्ते सभी पीछे छुट जायेंगे. फिर मैं एक नई यात्रा पर निकल जाऊंगा. कौन कितने दिन किसे याद रखता है. जो तुम्हारे करीबी हैं.वो रोएंगे.जो दुर के हैं वो मातम में आयेंगें और चले जायेंगे. किसी की ज़ेहन में रहूँगा याद की तरह.जो बस नाम के रिश्ते हैं वो मुझे भुला देंगे किसी तस्वीर की तरह.जो दुखी हैं मुझसे , कभी तुम ये तो सोचो की तुमने किसे ख़ुशी दीमौत एक आजादी है, इस जीवन के दुखो का अंत है. यहाँ हर कोई अपनी जिंदगी से त्रस्त है.सभी अपना रोना रो रहे हैं. सुकून तो तुम्हें मौत ही दे सकती है, फिर क्यों नही तुम गले लगा लेते हो इसे एक प्रेमिका की तरह. जो आये और तुम्हारे गले में वरमाला डाल दे. तुम भूल जाते हो शरीर मरता है , आत्मा तो अमर है.फिर क्यों डरते हो इससे.  हाँ डर तो मृत्यु से नही इसके दर्द से है. कहते हैं मरने के समय सौ बिछुओं के काटने के समान दर्द होता है. एक छटपटाहट होती है और शरीर शिथिल हो जाता है. साँसे रुक जाती है, और प्राण पखेरू उड़ जाते हैं. शरीर बेजान हो जाती है. मेरी तस्वीर को घर की दीवारों पर माला पहना के सजाना या ना सजाना, मुझे अपने मन की दीवारों पे सजा लेना. जीते जी तुम्हारी इच्छाएं पूरी ना हो सकी फिर यहाँ क्यों रुके हो किसी मेहमान की तरह.लालाजी के प्राण तो निकलते नही. यमदूत आये तो बोले अभी पोते का मुंह देख लेने दो. जब लालाजी को पोता हुआ तो फिर यमदूत आये लालाजी को लेने के लिए, तो फिर लालाजी बोले अभी पोते की शादी देख लेने दो, फिर दुनिया से जाऊंगा. पंडित जी हर वक्त भगवानका नाम जपते हैं.जब भगवान से मिलने का समय आया तो जाने का नाम ही नही लेते. भगवान से उनका सारा प्रेम छूमंतर हो गया. शर्माजी दुनिया नही छोड़ रहे उन्हें अपनी औरत से बहुत प्यार है. वो औरत जो उनकी जायदाद से प्यार  करती है. मुल्लाजी अल्ला मियां के पास जाना नही चाहते इन्हें अपनी बीवी से मोहब्बत है और इनकी बीवी पड़ोस के  लौंडे से चक्कर चला रही है. आँख होते दिखाई ना दे तो आँखों का अँधा कहते किसे हैं. पड़ोस की उस  बुढ़िया से पूछो जो 99 साल की हो गयी है, उसे चला फिरा नही जाता जिंदगी उसके लिए बोझ हो गयी है. गांववाले उसकी मैयत में जाने का इन्तजार कर रहे हैं. बुढ़िया दिनभर चिल्लाते रहती है मुझे मौत नही आती. कोई मुझे मेरे कष्ट से मुक्ति दिला दो. मौत ही तो है जो शारीरिक कष्टों स मुक्त कर देती है. तुम बुलाओ ना बुलाओ ये आएगी. इसकी दस्तक को तुम सुन नही सकोगे. ये किसी समय का इन्तजार नही करती. ये चुपके से आएगी. तुम्हारा हाथ पकड़कर तूम्हें अपने साथ ले जाएगी. फिर तुम उसके हाथों की छुअन को महसूस कर सकोगे. उसके हाथ भी उतने ही मुलायम होंगे जैसे तुम्हारी प्रेमिका जेनिफर के थे. वक़्त की सुई भी चलती रहेगी. दुनिया तो होगी पर उसमें तुम नही होगे.