मृत्यु
मुझे इससे बहुत डर लगता था . पर अब बहुत प्यारी लगती है. किसी दुल्हन सी. जैसे अपनी बाहें फैलाये ख़ड़ी हो, अपनी आगोश में लेने के लिए .चैन और सुकून के साथ मै सो जाउंगा.एक गहरी नींद में . कुछ चीजें जो ज़िन्दगी भर मेरा पीछा कर रही थी. वो मेरा पीछा तो नही करेगी. जों रिश्ते मुझे चुभते थे वो चुभेंगे तो नहीं. मैं उनसे दुर चला जाऊंगा जहां से दूरियां भी छोटी पड़ती है. मैं सबको तो खुश नही रख सकता. रिश्ते सभी पीछे छुट जायेंगे. फिर मैं एक नई यात्रा पर निकल जाऊंगा. कौन कितने दिन किसे याद रखता है. जो तुम्हारे करीबी हैं.वो रोएंगे.जो दुर के हैं वो मातम में आयेंगें और चले जायेंगे. किसी की ज़ेहन में रहूँगा याद की तरह.जो बस नाम के रिश्ते हैं वो मुझे भुला देंगे किसी तस्वीर की तरह.जो दुखी हैं मुझसे , कभी तुम ये तो सोचो की तुमने किसे ख़ुशी दी. मौत एक आजादी है, इस जीवन के दुखो का अंत है. यहाँ हर कोई अपनी जिंदगी से त्रस्त है.सभी अपना रोना रो रहे हैं. सुकून तो तुम्हें मौत ही दे सकती है, फिर क्यों नही तुम गले लगा लेते हो इसे एक प्रेमिका की तरह. जो आये और तुम्हारे गले में वरमाला डाल दे. तुम भूल जाते हो शरीर मरता है , आत्मा तो अमर है.फिर क्यों डरते हो इससे. हाँ डर तो मृत्यु से नही इसके दर्द से है. कहते हैं मरने के समय सौ बिछुओं के काटने के समान दर्द होता है. एक छटपटाहट होती है और शरीर शिथिल हो जाता है. साँसे रुक जाती है, और प्राण पखेरू उड़ जाते हैं. शरीर बेजान हो जाती है. मेरी तस्वीर को घर की
दीवारों पर माला पहना के सजाना या ना सजाना, मुझे अपने मन की दीवारों पे सजा लेना.
जीते जी तुम्हारी इच्छाएं पूरी ना हो सकी फिर यहाँ क्यों रुके हो किसी मेहमान की
तरह.लालाजी के प्राण तो निकलते नही. यमदूत आये तो बोले अभी पोते का मुंह देख लेने
दो. जब लालाजी को पोता हुआ तो फिर यमदूत आये लालाजी को लेने के लिए, तो फिर लालाजी
बोले अभी पोते की शादी देख लेने दो, फिर दुनिया से जाऊंगा. पंडित जी हर वक्त
भगवानका नाम जपते हैं.जब भगवान से मिलने का समय आया तो जाने का नाम ही नही लेते.
भगवान से उनका सारा प्रेम छूमंतर हो गया. शर्माजी दुनिया नही छोड़ रहे उन्हें अपनी
औरत से बहुत प्यार है. वो औरत जो उनकी जायदाद से प्यार करती है. मुल्लाजी अल्ला मियां के पास जाना नही
चाहते इन्हें अपनी बीवी से मोहब्बत है और इनकी बीवी पड़ोस के लौंडे से चक्कर चला रही है. आँख होते दिखाई ना
दे तो आँखों का अँधा कहते किसे हैं. पड़ोस की उस
बुढ़िया से पूछो जो 99 साल की हो गयी है, उसे चला फिरा नही जाता जिंदगी उसके
लिए बोझ हो गयी है. गांववाले उसकी मैयत में जाने का इन्तजार कर रहे हैं. बुढ़िया
दिनभर चिल्लाते रहती है मुझे मौत नही आती. कोई मुझे मेरे कष्ट से मुक्ति दिला दो.
मौत ही तो है जो शारीरिक कष्टों स मुक्त कर देती है. तुम बुलाओ ना बुलाओ ये आएगी.
इसकी दस्तक को तुम सुन नही सकोगे. ये किसी समय का इन्तजार नही करती. ये चुपके से आएगी.
तुम्हारा हाथ पकड़कर तूम्हें अपने साथ ले जाएगी. फिर तुम उसके हाथों की छुअन को
महसूस कर सकोगे. उसके हाथ भी उतने ही मुलायम होंगे जैसे तुम्हारी प्रेमिका जेनिफर
के थे. वक़्त की सुई भी चलती रहेगी. दुनिया तो होगी पर उसमें तुम नही होगे.
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