मेरा मूड काफी खराब था. लूथरा साहब की बदतमीजी बढ़ती जा रही थी। मैनें भी सोच रखा था। आज लूथरा ने कुछ बोला। तो मै उसकी बेइज्जती करूँगा। मैं पेपर पर कुछ काम कर रहा था, तभी पता चला, लूथरा ने बुलाया है। फिर गेट पे CCTV मशीन खराब होने के कारण Mr. लूथरा मुझे सुनाने लगा। उस दिन सभी के बीच मैंने उसे पुरा सुना दिया। सभी के बीच उसकी इज्जत उतार दी। वह सहमा हुआ चुपचाप मुझे देखता रह गया।मैं वहाँ से चला गया। फिर मैं सोचने लगा। आज मैं भी काफी बड़े पोस्ट पे होता। मैं भी अपने बॉस का चमचा होता। औरों की तरह तरक्की के लिये मैं भी किसी के तलवे चाट लेता। पर मुझसे ये हो ना सका। मैं अपने जमीर को नही मार सका। मैं अपने मेहनत की कमायी खाना चाहता था। इसलिए शायद मुसीबत हमेशा मेरे साथ साथ चलती है। जो सही राह पे चलनेवालों को आगे नही बढ़ने देती है। मैं उस दिन लूथरा साहब का ऑफिस छोड़ चुका था। मैं बहोत खुश था। क्यों कि मैं लूथरा से छुट कारा पाना चाहता था। मैं घर पहुंचा। अपनी बीवी को सारी बात बतायी।वो काफी tense हो गयी। फिर मैंने उसके हाथों में कंपनी का चेक दिया। जो मेरे अंतिम महीने का वेतन था। मैंने चेक देते हुए उसे बोला। मैं खाली हाथ नही आया हूँ। ये लो महीने भर का खर्चा। दूसरी नौकरी मैं ढूंढ लूंगा। ये सुनकर वो मुस्कुराई और किचन में चली गयी। हां एक बात और लूथरा साहब के चमचे बहोत थे। जिनको याद कर मुझे उनसे घृणा हो जाती है। कहीं इस प्राइवेट जॉब की जिंदगी जीते जीते आप अपने जमीर को तो नही मार चुके हैँ। नौकरी कीजिये पर किसी के तलवे चाटकर नही। कहीं आप ऐसे लोगों में से तो नही जो नौकरी के नाम पे जिल्लत की जिंदगी जीते हैं।
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