बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

लालबाई



सन् 1890 की बात है।ये कहानी छत्तीसगढ़ की है।  जहाँ के राजा रणधीर सिंह थे। और रानी का नाम तारा था। रणधीर सिंह के दरबार में लालबाई नाम की नर्तकी थी। जो अपने नृत्य से महाराज का दिल बहलाया करती थी। जब वह नृत्य करती तो महल के दीवार पर भी उसके पैरों के घूंघरु की गूंज सुनाई देती। लालबाई के सुंदर नृत्य को देखकर रणधीर सिंह उसपर फ़िदा हो गए थे। लालबाई के नृत्य और गायन को देख, रणधीर सिंह लालबाई पर मर मिटे थे। लालबाई के मनमोहक नृत्य को देखकर राजा रणधीर सिंह ने लालबाई को राजनर्तकी  घोषित कर दिया था। राजदरबार में कोई भी पद मिलने पर उस जमाने में महल में ही उनके रहने खाने की मुफ्त व्यवस्था की जाती थी। राजनर्तकी होने के कारण लाल बाई अब महल में ही रहने लगी। लाल बाई के नृत्य का जादू रणधीर सिंह पर इस तरह सिर चढ़ कर बोल रहा था। रणधीर सिंह काम काज छोड़ कर, लालबाई के प्रेम में डूबे रहते। और उसके नृत्य का आनंद उठाया करते। लाल बाई के घूंघरु की गूँज से महल में एक अजीब सी मादकता छा जाती। रणधीर सिंह अब लालबाई के  प्रेम में कैद हो चुके थे। राजा रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम में अपना राज काज सब कुछ भूल बैठे थे। यह बात धीरे धीरे रानी तारा के कानों तक पहुंची, राजा रणधीर सिंह पर लाल बाई ने अपने प्रेम का जादू चला रखा है। अब राजा रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम की गिरफ़्त में हैं। रानी तारा यह सोचने लगी की रणधीर सिंह को लालबाई के चंगुल से कैसे छुडाया जाये। रणधीर सिंह के बिना ये राज काज कैसे चलेगा। रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम में यूँ ही सब कुछ भूले रहे। तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। राज पाट सब नष्ट हो जाएगा। रणधीर सिंह ने मुझसे धोखा किया है। लालबाई ने मुझसे मेरा प्रेम रणधीर सिंह को मुझसे छीना है। रणधीर सिंह का प्रेम में ये विश्वास घात रानी तारा बर्दाश्त नही कर पायी। उसने दिलावर सिंह मंत्री के साथ मिलकर एक षड्यंत्र बनाया। रात में राजा रणधीर सिंह गहरी नींद में सो रहे थे। रानी तारा ने एक तेज चाकू रणधीर सिंह के पेट में घोंप डाली। रणधीर सिंह तड़प कर वहीं मर गए। रानी तारा ने रणधीर सिंह को मरते वक्त यही कहा की तूने मेरे साथ विश्वास घात किया था। आपकी सजा तो बस मौत थी महाराज। षड्यंत्र के मुताबिक मंत्री दिलावर सिंह ने तेज धार हथियार से लाल बाई और उसके बेटे की गला रेत कर हत्या कर दी। गाँव वालों के डर से लाल बाई और उसके 5 साल के बेटे की लाश को महल के बगल में एक बहती नदी में फ़ेंक दिया। और रानी तारा ने अपने पेट में एक तेज चाकू भौंक कर आत्म हत्या कर ली। महल वीरान हो गया। एक रात में खेला गया ये खूनी खेल। रानी तारा ने तो अपना बदला लाल बाई से ले लिया था। जिस लाल बाई ने उससे उसके महाराज रणधीर सिंह को उससे छीन लिया था। पर लाल बाई का क्या दोष था। लाल बाई का मनमोहक नृत्य, जिसने रणधीर सिंह को दीवाना बना दिया था, या लालबाई का मदहोश हुस्न, जिस हुस्न को देख रणधीर सिंह मर मिटे थे। लाल लाल बाई तो बेकसूर थी। लाल बाई की जुबान को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। लाल बाई के 5 साल के मासूम बेटे का कत्ल कर दिया गया। उस मासुम का क्या कसूर था। रानी तारा के पास इस सवाल का जवाब हो या ना हो। पर छत्तीसगछ का ये महल, ये दरों दीवार चिख चिख कर कह रहा है। की लाल बाई और उसके मासु म बेटे का क्या कसुर था। जो उनका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। महल के बगल में जिस बहती नदी में लाल बाई और उसके मासु म बेटे की लाश फेंकी गई थी। शाम होते ही उस नदी का पानी लाल हो जाता है। ये लाल बाई और उसके मासुम बेटे के मौत की कहानी बयां करती है। गाँव वाले बताते हैं, लालबाई की आत्मा अभी भी महल में नाचती है। आधी रात को महल से घूंघरू की आवाज सुनाई देती है। अक्सर आधी रात गाँव वालों को लाल बाई अपने मासुम बेटे के साथ महल के आसपास घूमती दिखाई देती है। 

रविवार, 7 फ़रवरी 2021

नेहरू और एडविना का प्रेम



नेहरू जब एडविना से मिले। तब नेहरू एडविना को अपना दिल दे चुके थे । मैं 2 feb, 2021 को इंटर नेट देख रहा था। तभी इंटरनेट पर मेरी नजर नेहरू और एडविना की तस्वीर पर पड़ी। जिसपर नेहरू एडविना के होठों का चुम्बन ले रहे थे। कमला कौल की मौत के बाद ऐसा भी नही था। की नेहरू को कोई सदमा था। अगर कमला की मौत का उन्हें सदमा होता तो वो एडविना से कभी इश्क नही लड़ाते। एडविना लार्ड माउंटबेटन की वाइफ थी। जिन्होंने नेहरू और एडविना की बढ़ती नजदीकियों में कभी रोक लगाने की कोशिश नही की। और ना उनके रिश्तों में कभी दखलअंदाजी की। बल्कि इस रिश्ते को इसलिए  बढ़ावा दिया की,भारत का आसानी से बंटवारा हो सके। वे इसमें अपनी राजनिति साध रहे थे। बात सन् 1948 की  है। नेहरू 58 साल के थे, और एडविना 48 की। एडविना जहाँ भी घूमने जाती । नेहरू वहाँ ज़रुर जाते और वहाँ एडविना से उनका मिलना जुलना होता रहता। एक बार नेहरू नैनीताल गए थे। जहाँ रूसी मोदी ने अपने बेटे से कहा, नेहरू को डिनर के लिए बुला लो। जब मोदी के बेटे ने नेहरू को डिनर पे बुलाने के लिए,  होटल के कमरे का डोर ओपन किया तो नेहरू ने एडविना को अपनी बाहों में भर लिया था,ये देख मोदी के बेटे झेंप गए। नेहरू भी इस घटना से शर्मशार हो गए। फिर कपड़े बदलकर डिनर के लिए नेहरू बाहर आये। नेहरू एडविना को हमेशा तोहफा दिया करते थे। जिसमें सिगरेट, फर्न  के पौधे और कोणार्क के सूर्य मंदिर की कामोत्  तेजक तस्वीरें शामिल थी। नेहरू एडविना को दिलों जान से चाहने लगे। कमला की मौत के बाद भी नेहरू का एडविना के लिए बेइन्तहा प्रेम। इस बात को दर्शाता है की नेहरू काफी आशिक मिजाज थे।  नैनीताल से लेकर मशोब्रा तक दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डालते देखे गए। और कभी चुम्बन लेते हुए। नेहरू का एडविना को लिखा गया वो ख़त, इस बात का सबुत था, की दोनों के बीच गहरे प्रेम संबंध थे। राइटर जेनेट मॉर्गन अपनी बुक एडविना माउंटबेटन , माय लाइफ ईयर ओन में लिखा की। नेहरू एडविना के इंग्लैण्ड जाने के बाद, एडविना को हमेशा पत्र लिखा करते थे। एडविना उनके सारे ख़त को प्यार से संजो कर रखी हुई थी।अपने अंतिम समय में भी एडविना नेहरू के लिखे ख़त को पढ़ रही थी, जो ख़त एडविना के बेड के नीचे गिरे हुए पाये गए थे। ये इस बात का सबुत है की एडविना का प्यार नेहरू के लिए किस जुनून तक था। 21 ferbury 1960 में एडविना बोर्नियो में गहरी नींद में सो गयी। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें समुद्र में दफनाया गया। एच एम् एस वेक फूल नाम के जहाज की मदद से एडविना को समुद्र में दफनाया गया। नेहरू ने अपने प्रेम को आखरी सलाम देने के लिए त्रिशूल नाम के जहाज को भेजा, जिसने गेंदे के फूल से एडविना के पार्थिव शरीर  पर फूलों की वर्षा की। इतिहास के पन्नों पर लिखा जानेवाला नेहरू और एडविना की ये सच्ची प्रेम कथा अविस्मरणीय है। 

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

जंगल की चुड़ैल

 

सन् 2005 की बात है। मेरे यहाँ राजु माँ नाम की एक बाई काम किया करती थी। उसकी उम्र करी ब 60 साल की थी। भूत प्रेत जैसी चीजों में दिलचस्पी होने के कारण एक दिन मैंने उनसे पूछा, राजु माँ आपने कभी भूत प्रेत देखा है। तभी उन्होंने मुझे अपनी कहानी सुनाई। सन् 1960 की बात है। मेरी शादी हुई थी। उस समय भागलपुर के बु ढा नाथ इलाके में जंगल हुआ करता था।शाम का समय था। मैं अपने मर्द के साथ बैलगाड़ी पर अपने ससुराल जा रही थी। बैलगाड़ी वाला अपनी गाड़ी जंगल में हाँक रहा था। हा हा हर र। रात हो चुकी थी। जंगल काफी बड़ा था।रास्ता नही दिखने के कारण गाड़ी वान ने लालटेंन जला ली। और बैल गाड़ी को जंगल में हाँकने लगा। हा हा हर र हर र चल चल। चलते चलते अचानक से बैल रुक गयी। बैल आगे नही बढ़ रही थी। बैलगाड़ी वाला कुछ समझ नही पाया। गाड़ी आगे क्यों नही बढ़ रही है। उसने देखा बैल गाड़ी का रास्ता रोके एक औरत खड़ी है। बैल चुपचाप अपनी जगह खड़ी थी। राजु माँ भी कुछ समझ नही पायी। तभी राजु माँ अपने पति से बोली, देखो तो उतर कर  गाड़ी आगे क्यों नही बढ़ रही है। राजू माँ के पति ने बैलगाड़ी से नीचे उतर कर देखा तो अचंभित रह गया। बैल गाड़ी का रास्ता रोके एक  चुड़ैल खड़ी थी। राजु माँ का पति बड़ा हिम्मत वाला था। उस चुड़ैल को देख उसने अपने पैर के जूते उतारे और गाली देते हुए उस चुड़ैल को मारने के लिए उसकी और बढ़ा। बोला बदजात आज मैं तुम्हें नही छोड़ेंगे। जैसे ही जूता लेकर वो चुड़ैल की तरफ आगे बढ़।। चुड़ैल वहाँ से गायब हो गयी। राजू माँ के पति बैल गाड़ी में सवार हो गए। बैल को रास्ता मिल गया था।बैल गाड़ी चलने लगी राजु माँ की जान में जान आयी।वो भगवान का शुक्रिया अदा करने लगी। वो लोग फिर अपने घर की तरफ रवाना हो गए। इस कहानी से ये तो पता चलता है की राजु माँ के पति काफी हिम्मत वाले थे। उनकी हिम्मत देख कर चुड़ैल को भी अपना रूख मोड़ ना पड़ा। पर आप कभी ऐसी हिम्मत नहीं दिखाइएगा। नहीं तो आपकी जान जोखिम मैं पड़ सकती है। क्यों की चुड़ैल काफि जिद्दी होती है।जहाँ वो आती है। बदजात इतनी जल्दी कहीं से जाती नहीं। वो काफी बलशाली होती है। और आप एक इंसान होकर उसका सामना कैसे कर सकते हैं। इस घटना को याद कर राजू माँ का डर अभी भी उनके दिल से निकला नहीं। जब की इस घटना को बीते हुए 60 साल हो गए। राजु माँ तो डर गयी। पर आप नहीं डरियेग। क्यों की मैं  आपको डराने के लिए अगली स्टोरी फिर लेकर आ रहा हूँ। तब तक के लिए श श श  कोई है।