रविवार, 7 फ़रवरी 2021

नेहरू और एडविना का प्रेम



नेहरू जब एडविना से मिले। तब नेहरू एडविना को अपना दिल दे चुके थे । मैं 2 feb, 2021 को इंटर नेट देख रहा था। तभी इंटरनेट पर मेरी नजर नेहरू और एडविना की तस्वीर पर पड़ी। जिसपर नेहरू एडविना के होठों का चुम्बन ले रहे थे। कमला कौल की मौत के बाद ऐसा भी नही था। की नेहरू को कोई सदमा था। अगर कमला की मौत का उन्हें सदमा होता तो वो एडविना से कभी इश्क नही लड़ाते। एडविना लार्ड माउंटबेटन की वाइफ थी। जिन्होंने नेहरू और एडविना की बढ़ती नजदीकियों में कभी रोक लगाने की कोशिश नही की। और ना उनके रिश्तों में कभी दखलअंदाजी की। बल्कि इस रिश्ते को इसलिए  बढ़ावा दिया की,भारत का आसानी से बंटवारा हो सके। वे इसमें अपनी राजनिति साध रहे थे। बात सन् 1948 की  है। नेहरू 58 साल के थे, और एडविना 48 की। एडविना जहाँ भी घूमने जाती । नेहरू वहाँ ज़रुर जाते और वहाँ एडविना से उनका मिलना जुलना होता रहता। एक बार नेहरू नैनीताल गए थे। जहाँ रूसी मोदी ने अपने बेटे से कहा, नेहरू को डिनर के लिए बुला लो। जब मोदी के बेटे ने नेहरू को डिनर पे बुलाने के लिए,  होटल के कमरे का डोर ओपन किया तो नेहरू ने एडविना को अपनी बाहों में भर लिया था,ये देख मोदी के बेटे झेंप गए। नेहरू भी इस घटना से शर्मशार हो गए। फिर कपड़े बदलकर डिनर के लिए नेहरू बाहर आये। नेहरू एडविना को हमेशा तोहफा दिया करते थे। जिसमें सिगरेट, फर्न  के पौधे और कोणार्क के सूर्य मंदिर की कामोत्  तेजक तस्वीरें शामिल थी। नेहरू एडविना को दिलों जान से चाहने लगे। कमला की मौत के बाद भी नेहरू का एडविना के लिए बेइन्तहा प्रेम। इस बात को दर्शाता है की नेहरू काफी आशिक मिजाज थे।  नैनीताल से लेकर मशोब्रा तक दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डालते देखे गए। और कभी चुम्बन लेते हुए। नेहरू का एडविना को लिखा गया वो ख़त, इस बात का सबुत था, की दोनों के बीच गहरे प्रेम संबंध थे। राइटर जेनेट मॉर्गन अपनी बुक एडविना माउंटबेटन , माय लाइफ ईयर ओन में लिखा की। नेहरू एडविना के इंग्लैण्ड जाने के बाद, एडविना को हमेशा पत्र लिखा करते थे। एडविना उनके सारे ख़त को प्यार से संजो कर रखी हुई थी।अपने अंतिम समय में भी एडविना नेहरू के लिखे ख़त को पढ़ रही थी, जो ख़त एडविना के बेड के नीचे गिरे हुए पाये गए थे। ये इस बात का सबुत है की एडविना का प्यार नेहरू के लिए किस जुनून तक था। 21 ferbury 1960 में एडविना बोर्नियो में गहरी नींद में सो गयी। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें समुद्र में दफनाया गया। एच एम् एस वेक फूल नाम के जहाज की मदद से एडविना को समुद्र में दफनाया गया। नेहरू ने अपने प्रेम को आखरी सलाम देने के लिए त्रिशूल नाम के जहाज को भेजा, जिसने गेंदे के फूल से एडविना के पार्थिव शरीर  पर फूलों की वर्षा की। इतिहास के पन्नों पर लिखा जानेवाला नेहरू और एडविना की ये सच्ची प्रेम कथा अविस्मरणीय है। 

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