सन् 1890 की बात है।ये कहानी छत्तीसगढ़ की है। जहाँ के राजा रणधीर सिंह थे। और रानी का नाम तारा था। रणधीर सिंह के दरबार में लालबाई नाम की नर्तकी थी। जो अपने नृत्य से महाराज का दिल बहलाया करती थी। जब वह नृत्य करती तो महल के दीवार पर भी उसके पैरों के घूंघरु की गूंज सुनाई देती। लालबाई के सुंदर नृत्य को देखकर रणधीर सिंह उसपर फ़िदा हो गए थे। लालबाई के नृत्य और गायन को देख, रणधीर सिंह लालबाई पर मर मिटे थे। लालबाई के मनमोहक नृत्य को देखकर राजा रणधीर सिंह ने लालबाई को राजनर्तकी घोषित कर दिया था। राजदरबार में कोई भी पद मिलने पर उस जमाने में महल में ही उनके रहने खाने की मुफ्त व्यवस्था की जाती थी। राजनर्तकी होने के कारण लाल बाई अब महल में ही रहने लगी। लाल बाई के नृत्य का जादू रणधीर सिंह पर इस तरह सिर चढ़ कर बोल रहा था। रणधीर सिंह काम काज छोड़ कर, लालबाई के प्रेम में डूबे रहते। और उसके नृत्य का आनंद उठाया करते। लाल बाई के घूंघरु की गूँज से महल में एक अजीब सी मादकता छा जाती। रणधीर सिंह अब लालबाई के प्रेम में कैद हो चुके थे। राजा रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम में अपना राज काज सब कुछ भूल बैठे थे। यह बात धीरे धीरे रानी तारा के कानों तक पहुंची, राजा रणधीर सिंह पर लाल बाई ने अपने प्रेम का जादू चला रखा है। अब राजा रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम की गिरफ़्त में हैं। रानी तारा यह सोचने लगी की रणधीर सिंह को लालबाई के चंगुल से कैसे छुडाया जाये। रणधीर सिंह के बिना ये राज काज कैसे चलेगा। रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम में यूँ ही सब कुछ भूले रहे। तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। राज पाट सब नष्ट हो जाएगा। रणधीर सिंह ने मुझसे धोखा किया है। लालबाई ने मुझसे मेरा प्रेम रणधीर सिंह को मुझसे छीना है। रणधीर सिंह का प्रेम में ये विश्वास घात रानी तारा बर्दाश्त नही कर पायी। उसने दिलावर सिंह मंत्री के साथ मिलकर एक षड्यंत्र बनाया। रात में राजा रणधीर सिंह गहरी नींद में सो रहे थे। रानी तारा ने एक तेज चाकू रणधीर सिंह के पेट में घोंप डाली। रणधीर सिंह तड़प कर वहीं मर गए। रानी तारा ने रणधीर सिंह को मरते वक्त यही कहा की तूने मेरे साथ विश्वास घात किया था। आपकी सजा तो बस मौत थी महाराज। षड्यंत्र के मुताबिक मंत्री दिलावर सिंह ने तेज धार हथियार से लाल बाई और उसके बेटे की गला रेत कर हत्या कर दी। गाँव वालों के डर से लाल बाई और उसके 5 साल के बेटे की लाश को महल के बगल में एक बहती नदी में फ़ेंक दिया। और रानी तारा ने अपने पेट में एक तेज चाकू भौंक कर आत्म हत्या कर ली। महल वीरान हो गया। एक रात में खेला गया ये खूनी खेल। रानी तारा ने तो अपना बदला लाल बाई से ले लिया था। जिस लाल बाई ने उससे उसके महाराज रणधीर सिंह को उससे छीन लिया था। पर लाल बाई का क्या दोष था। लाल बाई का मनमोहक नृत्य, जिसने रणधीर सिंह को दीवाना बना दिया था, या लालबाई का मदहोश हुस्न, जिस हुस्न को देख रणधीर सिंह मर मिटे थे। लाल लाल बाई तो बेकसूर थी। लाल बाई की जुबान को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। लाल बाई के 5 साल के मासूम बेटे का कत्ल कर दिया गया। उस मासुम का क्या कसूर था। रानी तारा के पास इस सवाल का जवाब हो या ना हो। पर छत्तीसगछ का ये महल, ये दरों दीवार चिख चिख कर कह रहा है। की लाल बाई और उसके मासु म बेटे का क्या कसुर था। जो उनका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। महल के बगल में जिस बहती नदी में लाल बाई और उसके मासु म बेटे की लाश फेंकी गई थी। शाम होते ही उस नदी का पानी लाल हो जाता है। ये लाल बाई और उसके मासुम बेटे के मौत की कहानी बयां करती है। गाँव वाले बताते हैं, लालबाई की आत्मा अभी भी महल में नाचती है। आधी रात को महल से घूंघरू की आवाज सुनाई देती है। अक्सर आधी रात गाँव वालों को लाल बाई अपने मासुम बेटे के साथ महल के आसपास घूमती दिखाई देती है।
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