मंगलवार, 16 मार्च 2021

गज़ल

मोहब्बत में ना सही, नफरत में अपनी दो चार सुनाया करो, तेरी गाली भी मुझे ईमरती लगती है, खिड़की पे तो रोज मुलाकात होती है। कभी गली में भी मुझसे मिलने आ जाया करो। 

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