रविवार, 17 अक्टूबर 2021
नशीली काली रात
गुरुवार, 17 जून 2021
sanam
दरख़त दीवार पे जिस प्यार को महसूस करता हुँ वो हो तुम, कभी ढूंढता हुँ वो जगह पे जहाँ तुम हमसे मिला करती थी, एक बार फिर से मिलने आ जाओ ना तुम, ठंडी हवा के झोंकों में भी तुम्हें मैं महसूस करता हुँ, अपने दुपट्टे में छुपा लो मुझे, अपने बाहों में सुला लो मुझे, तुम्हारा मेरे गालो को चूमना मुझे याद है, चुपके से आ के तेरा दिल को धड़कना, और मुझे गले लगाना आज भी याद है, सनम तेरा वो आशिकाना याद है.सनम तेरा वो आशिकाना याद है
शुक्रवार, 28 मई 2021
mahboob
जानेमन चलो तुम्हें कश्मीर दिखा दूँ, जमीन पे जन्नत इसी को कहते हैं, जो भी हो तुम बहोत खूब हो , तुम्हें ही तो महबूब कहते हैं
रविवार, 9 मई 2021
चांद
शुक्रवार, 7 मई 2021
दिल के आईने में
सोमवार, 26 अप्रैल 2021
रविवार, 18 अप्रैल 2021
सपनों की रानी
मंगलवार, 13 अप्रैल 2021
मुमताज
मंगलवार, 16 मार्च 2021
गज़ल
शनिवार, 13 मार्च 2021
भूली भटियारी का महल
दिल्ली में इस हॉन्टड प्लेस का नाम आपने नही सुना होगा। दरअसल दिल्ली पुलिस ने इस जगह को गुप्त कर दिया है।शाम के 5 बजते ही दिल्ली पुलिस यहाँ एक बैरिअर् गेट लगा देती हैं। सूर्यास्त के बाद यहाँ जाना मना है। करोल बाग के बग्गा नामक लिंक रोड से एक रास्ता वीरान जंगल की तरफ जाता है।यहाँ कोई दरवाजा भी नही है। ये जगह भूली भटियारी के महलके नाम से जाना जाता है। कहते हैं तुगलक वंश के राजा का यहाँ शिकार गाह था।वे लोग यहाँ शिकार खेलने आया करते थे। और रात को यही विश्राम किया करते थे। उनके साथ उनके अतिथि भी यहाँ रात को ठहरा करते थे। अपनी रानी के साथ वो यहाँ आते थे और शिकार खेलकर रात को यहाँ रुक जाते। । राजा ने इस महल में रानी की हत्या कर दी थी। अभी भी रानी की आत्मा इस महल में भटकती है। यह जगह इसलिए सुनसान है जो भी इस जगह गया है,उसने डर को अनुभव किया है। या उसे नुकसान उठाना पडा है। इतिहासिक धरोहर होने के बावजूद यह महल अब जर्जर हो चुका है। कोई भी चौकीदार यहाँ एक रात से ज्यादा नही ठहर पाता, रानी की भटकती आत्मा अब इस महल से नही जाना चाहती है। वो अब यही रहना चाहती है। यहाँ शायद किसी नकारात्मक शक्ति का कब्जा है, जो यहाँ अपना घर बना चुकी है और वो नही चाहती की कोई यहाँ आये। डर की दूसरी कहानी लेकर मै फिर आपके पास आऊंगा। तब तक के लिए Ssshh...कोई है
बुधवार, 3 मार्च 2021
मेरी गज़ल
बुधवार, 10 फ़रवरी 2021
लालबाई
सन् 1890 की बात है।ये कहानी छत्तीसगढ़ की है। जहाँ के राजा रणधीर सिंह थे। और रानी का नाम तारा था। रणधीर सिंह के दरबार में लालबाई नाम की नर्तकी थी। जो अपने नृत्य से महाराज का दिल बहलाया करती थी। जब वह नृत्य करती तो महल के दीवार पर भी उसके पैरों के घूंघरु की गूंज सुनाई देती। लालबाई के सुंदर नृत्य को देखकर रणधीर सिंह उसपर फ़िदा हो गए थे। लालबाई के नृत्य और गायन को देख, रणधीर सिंह लालबाई पर मर मिटे थे। लालबाई के मनमोहक नृत्य को देखकर राजा रणधीर सिंह ने लालबाई को राजनर्तकी घोषित कर दिया था। राजदरबार में कोई भी पद मिलने पर उस जमाने में महल में ही उनके रहने खाने की मुफ्त व्यवस्था की जाती थी। राजनर्तकी होने के कारण लाल बाई अब महल में ही रहने लगी। लाल बाई के नृत्य का जादू रणधीर सिंह पर इस तरह सिर चढ़ कर बोल रहा था। रणधीर सिंह काम काज छोड़ कर, लालबाई के प्रेम में डूबे रहते। और उसके नृत्य का आनंद उठाया करते। लाल बाई के घूंघरु की गूँज से महल में एक अजीब सी मादकता छा जाती। रणधीर सिंह अब लालबाई के प्रेम में कैद हो चुके थे। राजा रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम में अपना राज काज सब कुछ भूल बैठे थे। यह बात धीरे धीरे रानी तारा के कानों तक पहुंची, राजा रणधीर सिंह पर लाल बाई ने अपने प्रेम का जादू चला रखा है। अब राजा रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम की गिरफ़्त में हैं। रानी तारा यह सोचने लगी की रणधीर सिंह को लालबाई के चंगुल से कैसे छुडाया जाये। रणधीर सिंह के बिना ये राज काज कैसे चलेगा। रणधीर सिंह लालबाई के प्रेम में यूँ ही सब कुछ भूले रहे। तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। राज पाट सब नष्ट हो जाएगा। रणधीर सिंह ने मुझसे धोखा किया है। लालबाई ने मुझसे मेरा प्रेम रणधीर सिंह को मुझसे छीना है। रणधीर सिंह का प्रेम में ये विश्वास घात रानी तारा बर्दाश्त नही कर पायी। उसने दिलावर सिंह मंत्री के साथ मिलकर एक षड्यंत्र बनाया। रात में राजा रणधीर सिंह गहरी नींद में सो रहे थे। रानी तारा ने एक तेज चाकू रणधीर सिंह के पेट में घोंप डाली। रणधीर सिंह तड़प कर वहीं मर गए। रानी तारा ने रणधीर सिंह को मरते वक्त यही कहा की तूने मेरे साथ विश्वास घात किया था। आपकी सजा तो बस मौत थी महाराज। षड्यंत्र के मुताबिक मंत्री दिलावर सिंह ने तेज धार हथियार से लाल बाई और उसके बेटे की गला रेत कर हत्या कर दी। गाँव वालों के डर से लाल बाई और उसके 5 साल के बेटे की लाश को महल के बगल में एक बहती नदी में फ़ेंक दिया। और रानी तारा ने अपने पेट में एक तेज चाकू भौंक कर आत्म हत्या कर ली। महल वीरान हो गया। एक रात में खेला गया ये खूनी खेल। रानी तारा ने तो अपना बदला लाल बाई से ले लिया था। जिस लाल बाई ने उससे उसके महाराज रणधीर सिंह को उससे छीन लिया था। पर लाल बाई का क्या दोष था। लाल बाई का मनमोहक नृत्य, जिसने रणधीर सिंह को दीवाना बना दिया था, या लालबाई का मदहोश हुस्न, जिस हुस्न को देख रणधीर सिंह मर मिटे थे। लाल लाल बाई तो बेकसूर थी। लाल बाई की जुबान को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। लाल बाई के 5 साल के मासूम बेटे का कत्ल कर दिया गया। उस मासुम का क्या कसूर था। रानी तारा के पास इस सवाल का जवाब हो या ना हो। पर छत्तीसगछ का ये महल, ये दरों दीवार चिख चिख कर कह रहा है। की लाल बाई और उसके मासु म बेटे का क्या कसुर था। जो उनका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। महल के बगल में जिस बहती नदी में लाल बाई और उसके मासु म बेटे की लाश फेंकी गई थी। शाम होते ही उस नदी का पानी लाल हो जाता है। ये लाल बाई और उसके मासुम बेटे के मौत की कहानी बयां करती है। गाँव वाले बताते हैं, लालबाई की आत्मा अभी भी महल में नाचती है। आधी रात को महल से घूंघरू की आवाज सुनाई देती है। अक्सर आधी रात गाँव वालों को लाल बाई अपने मासुम बेटे के साथ महल के आसपास घूमती दिखाई देती है।
रविवार, 7 फ़रवरी 2021
नेहरू और एडविना का प्रेम
नेहरू जब एडविना से मिले। तब नेहरू एडविना को अपना दिल दे चुके थे । मैं 2 feb, 2021 को इंटर नेट देख रहा था। तभी इंटरनेट पर मेरी नजर नेहरू और एडविना की तस्वीर पर पड़ी। जिसपर नेहरू एडविना के होठों का चुम्बन ले रहे थे। कमला कौल की मौत के बाद ऐसा भी नही था। की नेहरू को कोई सदमा था। अगर कमला की मौत का उन्हें सदमा होता तो वो एडविना से कभी इश्क नही लड़ाते। एडविना लार्ड माउंटबेटन की वाइफ थी। जिन्होंने नेहरू और एडविना की बढ़ती नजदीकियों में कभी रोक लगाने की कोशिश नही की। और ना उनके रिश्तों में कभी दखलअंदाजी की। बल्कि इस रिश्ते को इसलिए बढ़ावा दिया की,भारत का आसानी से बंटवारा हो सके। वे इसमें अपनी राजनिति साध रहे थे। बात सन् 1948 की है। नेहरू 58 साल के थे, और एडविना 48 की। एडविना जहाँ भी घूमने जाती । नेहरू वहाँ ज़रुर जाते और वहाँ एडविना से उनका मिलना जुलना होता रहता। एक बार नेहरू नैनीताल गए थे। जहाँ रूसी मोदी ने अपने बेटे से कहा, नेहरू को डिनर के लिए बुला लो। जब मोदी के बेटे ने नेहरू को डिनर पे बुलाने के लिए, होटल के कमरे का डोर ओपन किया तो नेहरू ने एडविना को अपनी बाहों में भर लिया था,ये देख मोदी के बेटे झेंप गए। नेहरू भी इस घटना से शर्मशार हो गए। फिर कपड़े बदलकर डिनर के लिए नेहरू बाहर आये। नेहरू एडविना को हमेशा तोहफा दिया करते थे। जिसमें सिगरेट, फर्न के पौधे और कोणार्क के सूर्य मंदिर की कामोत् तेजक तस्वीरें शामिल थी। नेहरू एडविना को दिलों जान से चाहने लगे। कमला की मौत के बाद भी नेहरू का एडविना के लिए बेइन्तहा प्रेम। इस बात को दर्शाता है की नेहरू काफी आशिक मिजाज थे। नैनीताल से लेकर मशोब्रा तक दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डालते देखे गए। और कभी चुम्बन लेते हुए। नेहरू का एडविना को लिखा गया वो ख़त, इस बात का सबुत था, की दोनों के बीच गहरे प्रेम संबंध थे। राइटर जेनेट मॉर्गन अपनी बुक एडविना माउंटबेटन , माय लाइफ ईयर ओन में लिखा की। नेहरू एडविना के इंग्लैण्ड जाने के बाद, एडविना को हमेशा पत्र लिखा करते थे। एडविना उनके सारे ख़त को प्यार से संजो कर रखी हुई थी।अपने अंतिम समय में भी एडविना नेहरू के लिखे ख़त को पढ़ रही थी, जो ख़त एडविना के बेड के नीचे गिरे हुए पाये गए थे। ये इस बात का सबुत है की एडविना का प्यार नेहरू के लिए किस जुनून तक था। 21 ferbury 1960 में एडविना बोर्नियो में गहरी नींद में सो गयी। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें समुद्र में दफनाया गया। एच एम् एस वेक फूल नाम के जहाज की मदद से एडविना को समुद्र में दफनाया गया। नेहरू ने अपने प्रेम को आखरी सलाम देने के लिए त्रिशूल नाम के जहाज को भेजा, जिसने गेंदे के फूल से एडविना के पार्थिव शरीर पर फूलों की वर्षा की। इतिहास के पन्नों पर लिखा जानेवाला नेहरू और एडविना की ये सच्ची प्रेम कथा अविस्मरणीय है।
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021
जंगल की चुड़ैल
मंगलवार, 19 जनवरी 2021
प्राइवेट जॉब
गुरुवार, 14 जनवरी 2021
अशोक विहार का फ्लाई ओवर
अगर आप किसी फ्लाई ओवर से गुजर रहे हैं तो सावधान हो जाइये , क्यों कि ये गुडगांव अशोक विहार का फ्लाई ओवर काफी डरावना है।ये फ्लाई ओवर रात होते ही एक अजीब सी शक्ल अख्तियार करता है। यहाँ अक्सर एक उजली साड़ी पहने एक औरत दिखाई देती है। जो आने जाने वाली गाड़ियों के ड्राइवर से रास्ता पूछती है। जो भी ड्राइवर उसे गाड़ी रोक कर रास्ता बताता है, उस गाड़ी की ब्रेक फेल हो जाती है और गाड़ी गोल गोल घूमने लगती है। यह घटना अक्सर रात 1AM से 4 AM के बीच होती है। अगर आप भी इस फ्लाई ओवर से गुजर रहे हैं तो अपनी गाड़ी कभी ना रोके, ये उजली साड़ी वाली औरत हर अक्सर आने जाने वालों से रास्ता पूछती है। क्या पता इसका अगला शिकार आप हो सकते हैं। आपकी भलाई इसी में है की आप जान बचाकर वहाँ से निकल लें। क्या पता वो आपकी आखिरी रात हो। आखिर इस औरत की आत्मा आने जाने वालों से रास्ता क्यों पूछती है। इस औरत की आत्मा यहाँ क्यों भटकती है। ये बस एक रहस्य है। क्यों हर रात ऐसी घटना घटती है, कोई नही जानता। ये सारे सवाल शायद आपको परेशान कर दें। आप मुझ पर यकीन करें ना करें पर ये सच है।